कोरोना से बचाव , आयुर्वेद माहिर के सुझाव

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घर की रसोई में ही छिपा तंदरुस्‍ती का राज

अच्छी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली एवं मजबूत मनोबल तंदरुस्‍त जीवन के लिए वरदान

हरिंदर निक्का बरनाला 29 अप्रैल 2020

देश में गत 38 दिनों से जारी तालाबंदी के चलते लोग अपने घरों में बंद हैं। फिर भी लोगों के मन में न तो कोरोना वायरस का भय दूर हुआ है और न ही दुनिया में कोरोना का कोई इलाज संभव हो पाया है। मौजूदा अति-आधुनिक युग में, मानव जीवन के लिए संकट की इस घडी में, बड़ी संख्या में, केवल दो चीजें हर समय लोगों के दिमाग में चल रहीं हैं। पहला, अदृश्य कोरोना वायरस का खतरा, और दूसरा, बीमारी का कोई इलाज न होने की वजह से, अदृश्य भगवान से सुरक्षा की कभी न खत्म होने वाली उम्‍मीद । फिर भी, लोग अपने अपने स्तर पर, घरेलू उपचारों के जरिए खुद को कोरोना से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जन जागरूकता बढ़ाने के लिए, बरनाला टूडे की टीम ने आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉक्‍टर मलकीत सिंह से विशेष भेंट की , ताकि कोरोना से बचाव, उपाय और सुझाव के बारे लोगों को जानकारी मुहैया हो सके।डॉक्‍टर मलकीत सिंह ने कहा कि आयुर्वेद में, कोरोना वायरस का कोई विशेष उल्लेख नहीं है। परन्‍तू आयुर्वेद में, वात , पित्त और कफ के आधार पर विभिन्न रोगों का इलाज युगों -युगांतर से किया जाता है। उन्होंने कहा कि समय-समय पर आने वाली बीमारियों के लक्षणों के अनुसार, प्रकृति के असीम संसाधनों से प्राप्त विभिन्न जड़ी-बूटियों से आयुर्वेदिक दवाएं तैयार की जाती हैं। जिनका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पडता है। लेकिन जड़ी-बूटियों / खाद्य पदार्थों का अत्यधिक उपयोग और आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह के बिना यह भी शरीर के लिए घातक साबित हो सकता है।

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                      डॉक्‍टर मलकीत सिंह ने कहा कि बीमारी जो भी मर्जी हो, रोगी का इलाज रोगी की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली , उच्च मनोबल एवं सकारात्मक सोच पर भी निर्भर करता है। जीव जितनी अधिक रोगों से लड़ने की शक्ति रखता है। उतना ही वह भयानक से भयानक बीमारियों का सामना करते हुए स्वस्थ भी रह सकता है। एक उदाहरण के तौर पर इसका उल्लेख करते हुए, उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी कोरोना वायरस का इलाज अभी तक संभव नहीं हुआ है। लेकिन हजारों कोरोना पॉजिटिव रोगियों ने अपनी मजबूत रोग प्रतिरक्षा प्रणाली और उच्च मनोबल के साथ कोरोना पर जीत हासिल की है।

 विटामिन ‘सी’ शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा कर  शरीर को बीमारियों के बाहरी हमलों से बचाता है,

  डॉक्‍टर मलकीत सिंह ने कहा कि यह भी सच है कि विटामिन सी का उपयोग रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। विटामिन सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और शरीर को बीमारियों के बाहरी हमलों से भी बचाता है। इसलिए इन दिनों लोग किन्नू, संतरा और नींबू का भी भरपूर सेवन कर रहे हैं। लेकिन बहुत अधिक विटामिन सी भी त्वचा और जिगर की बीमारी का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि दैनिक आहार में केवल आवश्यक विटामिन सी की मात्रा शरीर के लिए फायदेमंद है। मगर विटामिन सी युक्त फलों के अत्यधिक सेवन से भी शरीर में एस्कॉर्बिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। इस से पेट की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

क्‍या ,कुछ और कैसे उपयोग करें !डॉक्‍टर मलकीत सिंह ने कहा कि प्याज को रसोई का राजा माना जाता है। प्याज में हवा और शरीर के सभी विषैले कण / रैडीएशन आदि को खत्म करने की क्षमता होती है। जो अकसर हर घर में मौजूद होता है और स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद भी होता है। यह रोगाणूरोधी और एंटीऑक्सिडेंट में समृद्ध है। जिसकी मदद से शरीर का पाचन तंत्र मजबूत होता है। इससे मनुष्‍य में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। प्याज में गंधक की उपस्थिति कीटाणुओं और विषाक्त पदार्थों को ख्‍तम कर देती है। यहां तक ​​कि प्याज की सीमित मात्रा भी कोरोना के प्रभाव को कम करने में उपयोगी हो सकती है। उन्होंने कहा कि एक सदियों पुरानी कहावत हैं कि बहुत अधिक घी भी शरीर को नुक्‍सान पहुंचाता है और दवा के रूप में उपयोग किया जाने वाला ज़हर की एक सीमित मात्रा भी जिंदगी को बचा भी सकता है। इसलिए, कच्चा प्याज भी 5 से 10 ग्राम से अधिक नहीं खाना चाहिए। लेकिन यह भी ध्यान रखें कि सिरके में भिगोया हुआ कच्चा प्याज भी शरीर के लिए ज्‍यादा फायदेमंद नहीं है। डॉक्‍टर मलकीत सिंह ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए आंवले का सेवन भी बहुत लाभदायक है। आंवला खाने से भी मनुष्‍य की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। लेकिन सभी मौसम में, हर जगह कच्चा आंवला भी मिलना संभव नहीं होता । इसलिए, कच्चे आंवले की अनुपस्थिति में, आंवले की चटनी और अचार के अलावा, आंवला बेस चवन्प्राश भी सभी मौसम में, हर समय बाजार में उपलब्ध रहते हैं। जो अब भी उपयोगी है।

 

डॉक्‍टर मलकीत सिंह ने कहा कि तुलसी किसी व्यक्ति को ठीक करने में रामबाण साबित होती है। इसीलिए धार्मिक लोग हमेशा तुलसी के पौधे को घर में रखने की सलाह देते हैं। पंच तुलसी की 2 बूंदों का सेवन भी अधिक फायदेमंद है।

           

 

डॉक्‍टर मलकीत सिंह ने कहा कि लहसुन को आयुर्वेद में सुरक्षा कवच भी कहा जाता है। लहसुन को भी दैनिक आहार में शामिल किया जाना चाहिए। यह शरीर के अच्छे मैटावोलिजम के लिए उपयोगी है। यह शरीर के पाचन तंत्र को भी मजबूत बनाता है और रोगों से लड़ने की शक्ति भी बढ़ाता है।

           

 डॉक्‍टर मलकीत सिंह ने कहा कि फिटकरी फलों और सब्जियों को शुद्ध करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए लोगों को सब्जियों और फलों को धोने के लिए 15-20 बार फिटकरी के एक टुकड़े को पानी में घोलना चाहिए, फिटकरी युक्‍त पानी से धोने के बाद सब्जियों और फलों को फिर साफ पानी से धोना चाहिए। ऐसा करने से सब्जियां और फल कीटाणूरहित हो जाते हैं।

                   

कोरेना से डरने की नहीं , सावधान रहने की जरूरत

डॉक्‍टर मलकीत सिंह ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को कैद में रहने के लिए मजबूर कर रखा है। लेकिन कोरोना के डर से शरीर में तनाव भी पैदा हो रहा है। इस स्थिति में बड़ी संख्या में लोग मनोरोग के शिकार भी हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन के दिशानिर्देशों का पालन करना और स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताई जा रही सावधानियों को जीवनशैली का हिस्सा बनाना समय ही समय की अहम जरूरत है। उन्होंने कहा कि सभी परिस्थितियों में सकारात्मक सोच और उच्च मनोबल रखने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो मनुष्‍य की सेहतयावी के लिए  बहुत महत्वपूर्ण है।

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