पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय में हिंदी पखवाड़ा-2022 आरंभ
बठिंडा, 14 सितंबर (अशोक वर्मा)
हिंदी दिवस के सुअवसर पर पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) में राजभाषा कार्यान्वयन समिति, हिंदी प्रकोष्ठ एवं हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान और कुलपति आचार्य राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी जी के संरक्षण में हिंदी पखवाड़ा 2022 (14-28 सितम्बर 2022) का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया।
इस अवसर पर इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष पद्मश्री श्री राम बहादुर राय जी आभासी पटल के मधम से मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए और उन्होंने भारतीय भाषाओँ में सांस्कृतिक एकता’ विषय पर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया।
अपने संबोधन में पद्मश्री श्री राम बहादुर राय ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के बाद संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। हिंदी हमारे देश में बोले जाने वाली सबसे अधिक लोकप्रिय भाषा है और हिंदी भाषा को देश की राजभाषा का दर्जा दिलाने में हिंदी भाषी के साथ साथ गैर हिंदी भाषी लोगों ने भी अपना अमूल्य योगदान दिया हैं।
उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारतीय भाषाओँ को आज के दौर में अंग्रेजी भाषा जैसा स्थान इस लिए नहीं मिल सका क्योंकि हमारे भाषा विचारकों ने भाषा को नस्ल से जोड़ दिया। लेकिन इसका कोई भी उदाहरण हमारे प्राचीन साहित्य में नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि भारत में भाषाओं की विभिन्नताओं के बावजूद इनमें आपसी समानता देखने को मिलती है, जो पश्चिमी भाषाओँ में देखने को नहीं मिलती है। भाषा विज्ञान के कुछ विद्वान यह मानने लगे कि भारत एक भाषा क्षेत्र है और अब आवश्यकता इस बात की है कि हिंदी और भारतीय भाषाओं के पारस्परिक संबंधों को मजबूत बनाने की दिशा में कार्य किए जाएँ।
श्री राम बहादुर राय ने कहा कि भारत की हर भाषा एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। हिंदी ने राष्ट्रीय भाषा न होने के बावजूद अन्य भारतीय भाषाओं को प्रभावित किया और स्वयं भी उनसे प्रभावित हुई। क्योंकि, सभी भारतीय भाषाएं परस्पर रूप से समान हैं और एक दुसरे से जुड़ी हुई हैं। हिंदी में लचीलापन और उदारता है जिसने इसे देश की संपर्क भाषा के रूप में विकसित किया है। उन्होंने भारत देश में भाषा से संबंधित किसी भी तरह के तनाव को दूर करने और देश को एकता के सूत्र में बांधे रखने के लिए सभी भारतीय भाषाओँ को एक भाषा परिवार के रूप में देखने की सोच को बढ़ावा देने के विचार पर बल दिया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी ने मुख्य अथिथि के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी भाषा भारत के विभिन्न राज्यों के लोगों को जोड़ने के लिए एक संपर्क भाषा के रूप में कार्य करती है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन भारतीय भाषाओँ को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है और अपने छात्रों को इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।