बाबा हरदेव सिंह जी ने मानवीयता से युक्त होकर जीवन जीना सिखाया – सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज
बरनाला , (हरिन्दर निक्का) 13 मई, 2021
‘‘बाबा हरदेव सिंह जी ने मानवीयता से युक्त होकर जीवन जीने का ढंग सिखाया।’’ ये उद्गार सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी के दिव्य जीवन एवं शिक्षाओं से प्रेरणा लेने हेतु वर्चुअल रूप में आयोजित ‘समर्पण दिवस’ समागम में व्यक्त किए।
बरनाला ब्रांच के संजोयक जीवन गोयल ने बताया कि सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने निरंकारी जगत और प्रभु प्रेमियों को संबोधित करते हुए फरमाया कि जब हम बाबा जी की केवल मुस्कान को याद करते हैं तो कितनी ठंडक महसूस होती है। उन्होंने हमें सच्चा मनुष्य बनने की युक्ति सिखायी। हम सही मायने में मानव की भांति अपना जीवन जीयें क्योंकि ऐसा ही भक्ति भरा, प्रेम वाला और निरंकार प्रभु से जुड़कर जिया गया जीवन ही बाबा जी को प्रिय था। उनकी शिक्षाओं पर चलकर हम प्रतिदिन अपने जीवन में निखार लायें ताकि यह ज्ञान की ज्योति घर घर में पहुँचे, जो उनकी अभिलाषा थी।
बाबा हरदेव सिंह जी ने 36 वर्षों तक मिशन की बागड़ोर सम्भाली। उनकी छत्रछाया में मिशन 17 देशों से चलकर विश्व के प्रत्येक महाद्वीप के 60 राष्ट्रों तक पहुँचा, जिसमें राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर के समागम, युवा सम्मेलन, सत्संग कार्यक्रम, समाज सेवा उपक्रम, विभिन्न धार्मिक तथा आध्यात्मिक संस्थाओं के साथ तालमेल जैसे आयोजन सम्मिलित थे। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा संत निरंकारी मिशन को सामाजिक एवं आर्थिक परिषद के सलाहकार के रूप में मान्यता भी बाबा जी के समय में ही प्रदान की गई थी।
आध्यात्मिक जागरुकता के अतिरिक्त समाज कल्याण के लिए भी बाबा जी ने अनेक सार्थक कदम उठायें। जिसमें मुख्यतः रक्तदान, स्वच्छता अभियान, वृक्षारोपण, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, व्यवसाय मार्गदर्शन केन्द्र के लिए किये गये कार्य सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त बाबा जी ने स्वयं रक्तदान करके मिशन के रक्तदान अभियान की शुरूआत की, मिशन के पहले ब्लड बैंक का लोकार्पण 26 जनवरी, 2016 को बाबा हरदेव सिंह जी ने किया जो विले पार्ले, मुंबई में स्थित है।
बाबा हरदेव सिंह जी प्रेम और करूणा की सजीव मूरत थे और यही कारण था कि वह प्रत्येक स्तर के लोगों के प्रिय रहे, जिसका प्रतिबिंब संत निरंकारी मिशन है। निरंकारी मिशन में विभिन्न धर्म, जाति, वर्ण के लोग समस्त भेदभावों को भुलाकर प्रेम व शांतिपूर्ण गुण जैसे मानवीय मूल्यों को जीवन में धारण करते हैं ।
उनके द्वारा जनकल्याण के लिए की गई सेवाएं एक स्वर्णिम इतिहास बनकर आज भी मानवता को प्रेरित कर रही हैं। बाबा जी की सिखलाईयों पर चलकर सभी श्रद्धालु भक्त प्रतिपल उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं तथा उनका अनुसरण भी करते हैं।
वर्ष 2016 में 13 मई के दिन बाबा हरदेव सिंह जी अपने नश्वर शरीर को त्यागकर निराकार प्रभु में विलीन हो गए थे। तभी से प्रतिवर्ष यह दिन निरंकारी जगत में ‘समर्पण दिवस’ के रूप में बाबा हरदेव सिंह जी को समर्पित किया जाता ।