बेअंत सिंह बाजवा , लुधियाना, 4 अप्रैल, 2023
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने `आप’ सांसद (राज्यसभा) संजीव अरोड़ा द्वारा पूछे गए सवाल कि क्या सरकार ड्रग एडिक्ट्स को तस्करों से अलग करने के लिए कुछ यथोचित छोटे स्तर तक ड्रग्स रखने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने पर विचार कर रही है, का विस्तृत जवाब दिया है।
अरोड़ा ने आज यहां एक बयान में यह जानकारी देते हुए कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान एनडीपीएस अधिनियम के तहत आपराधिक मामलों में उनकी संलिप्तता के लिए न्यायिक हिरासत या सजा के तहत जेल भेजे गए व्यक्तियों की संख्या के बारे में भी पूछा था। उनके सवालों में यह भी शामिल था कि कितने लोग अधिनियम के तहत वर्गीकृत कमर्शियल या मध्यवर्ती स्तर से कम मात्रा में ड्रग्स रखने में शामिल हैं। उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या सरकार ने ऐसे कारावास के प्रभाव का आकलन करने के लिए कोई अध्ययन शुरू किया है, जो सामान्य नशा करने वालों को कठोर अपराधियों में बदल देता है।
इन सवालों का जवाब देते हुए, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने उल्लेख किया कि नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा वर्ष 2021 से संबंधित नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक (एनडीपीएस) एक्ट के तहत जेलों में दोषियों और विचाराधीन कैदियों की संख्या 2017-2021 के दौरान इस प्रकार है: दोषी- 8734 (2017), 8198 (2018), 8833 (2019), 5488 (2020) और 6722 (2021); विचाराधीन- 21127 (2017), 22988 (2018), 26805 (2019), 33410 (2020) और 40862 (2021)।
साधारण नशा करने वालों को कठोर अपराधियों में बदलने पर इस तरह के कारावास के प्रभाव का आकलन करने के लिए किसी भी अध्ययन के बारे में अरोड़ा के प्रश्न के बारे में, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने जवाब दिया कि, सामान्य नशा करने वालों को कठोर अपराधियों में बदलने पर इस तरह के कारावास के प्रभाव का आकलन करने के लिए ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया गया है। अरोड़ा ने कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने यह भी कहा है कि तस्करों से ड्रग एडिक्ट्स को अलग करने के लिए केंद्र के पास कुछ यथोचित छोटे स्तर तक ड्रग्स के कब्जे को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। हालांकि, यह मामला राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक एक्ट 1985 को प्रबंधन करने वाले नोडल मंत्रालय के विचाराधीन है।
इस दौरान अरोड़ा ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार और डीजीपी पंजाब गौरव यादव की निगरानी में पंजाब पुलिस पंजाब को नशा मुक्त राज्य बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों के तहत पंजाब पुलिस ने नशों के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़ी है। इसके परिणामस्वरूप 16 मार्च 2022 से अब तक 13094 एफआईआर दर्ज कर अब तक 17568 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस ने केवल एक साल के दौरान अन्य बरामदगी करने के अलावा रिकॉर्ड 863.9 किलोग्राम हेरोइन बरामद की है। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में बड़ी संख्या में ड्रग तस्करों की गिरफ्तारी हुई है और ड्रग्स की बरामदगी हुई है। अरोड़ा ने उम्मीद जताई कि डीजीपी पंजाब की निगरानी में चल रहे प्रयासों के और अधिक फलदायी परिणाम सामने आएंगे और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का “नशा मुक्त राज्य” बनाने का सपना आखिरकार साकार होगा।