सेंट्रल विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा की स्वीकार्यता एवं उसके आर्थिक आयाम विषयक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन
बठिंडा, 26 सितम्बर (लोकेश कौशल)
पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा में कुलपति आचार्य राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण एवं मार्गदर्शन में राजभाषा कार्यान्वयन समिति तथा हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 14 से 28 सितम्बर तक हिंदी पखवाड़ा 2022 के अंतर्गत हिंदी भाषा से संबंधित विभिन्न गतिविधियों एवं व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा हैI इसी कड़ी में सोमवार को “हिंदी भाषा की स्वीकार्यता एवं उसके आर्थिक आयाम” विषयक विशिष्ट व्याख्यान आयोजित किया गयाI इस कार्यक्रम में भारत सरकार के राष्ट्रपति भवन के विशेष कार्य अधिकारी (हिंदी) डॉ. राकेश बी. दुबे मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुएI
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए डॉ. राकेश बी. दुबे ने कहा की भारत एक बहु भाषाई देश हैI यहाँ विभिन्न भारतीय भाषाएँ एक दुसरे से भिन्न नहीं है बल्कि एक ही भाषाई परिवार का हिस्सा हैं और हिंदी भाषा का उपयोग अन्य भारतीय भाषाओँ के बीच संपर्क भाषा के रूप में किया जाता हैI उन्होंने भाषाओँ के आपसी रिश्ते में हिंदी भाषा की अतिथि पर प्रकाश डालते हुए इस बात को रेखांकित किया कि पंजाब राज्य की हिंदी भाषा की स्वीकार्यता में महत्तवपूर्ण भूमिका रही हैI पंजाब के दस सिख गुरु साहिबानों ने हिंदी भाषा को जिस तरह अपनाया और पवित्र ग्रन्थ श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में हिंदी भाषा के कवि संत कबीर की रचनाओं को स्थान देकर हिंदी भाषा में संगृहीत ज्ञान को सामान्य जन तक पहुँचायाI उन्होंने कहा कि “ओम जय जगदीश हरे” आरती जैसे भावपूर्ण गीत की रचना करने वाले पंडित श्रद्धाराम शर्मा फिल्लौरी’ पंजाब से संबंधित थेI
उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदी भाषा के जन जन तक पहुँचने का एक कारण यह भी है कि हिंदी भाषा के लेखकों और अनुवादकों ने भारत की अन्य भाषाओँ में निहित ज्ञान को अनुदित किया और सभी भाषाओँ को एक सूत्र में जोड़े रखाI भारतीय जनसँख्या के आंकड़ों को देखकर पता चलता है कि स्वतंत्रता के बाद हिंदी भाषा बोलने वालों का प्रतिशत निरंतर बढ़ रहा हैI हिंदी भाषा की स्वीकार्यता का प्रमाण इस तथ्य से भी मिलता है कि भारत के शीर्ष 10 समाचार पत्रों और समाचार पत्रिकाओं की सूचि में हिंदी भाषा में प्रकाशित समाचार पत्रों और समाचार पत्रिकाओं की बहुलता है और इनके पाठकों की संख्या अन्य भाषा में प्रकाशित होने पत्रों से बहुत अधिक हैI प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी हिंदी भाषी मीडिया आर्थिक दृष्टि से संपन्न है और उनके पास अधिकतम विज्ञापन शेयर भी हैI उन्होंने हिंदी भाषा में ज्ञान अर्जित करने वाले युवाओं के समक्ष भविष्य की अपार संभावनाओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए सभी से हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुँचाने में अपनी सहभागिता देने का आह्वान कियाI