सेंट्रल विश्वविद्यालय में आयोजित की जा रही हिंदी पखवाड़ा 2022 व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक सहित देश के प्रख्यात शिक्षाविदों ने छात्रों को हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए प्रेरित किया
बठिंडा, 16 सितम्बर (राजेश गौतम)
पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा में कुलपति आचार्य राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण एवं मार्गदर्शन में राजभाषा कार्यान्वयन समिति तथा हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 14 से 28 सितम्बर तक हिंदी पखवाड़ा 2022 के अंतर्गत हिंदी भाषा से संबंधित विभिन्न गतिविधियों एवं व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा हैI
इस हिंदी पखवाड़ा के पहले तीन दिन के कार्यक्रमों में पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक सहित देश के प्रख्यात शिक्षाविदों ने छात्रों को हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए प्रेरित कियाI उद्घाटन समारोह में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष पद्मश्री श्री राम बहादुर राय ने भारतीय भाषाओं में सांस्कृतिक एकता’ विषय पर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के दूसरे और तीसरे दिन साहित्य अकादमी, दिल्ली के पूर्व सदस्य डॉ. योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष आचार्य पुष्पा रानी और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति आचार्य बलदेव भाई शर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम के दूसरे दिन डॉ. योगेन्द्र नाथ ‘अरुण’ ने हिंदी के बढ़ते कदम विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज का युग हिंदी के बढ़ते प्रभाव का युग हैI आज भारतीय जनमानस को एकता के सूत्र में पिरोने के साथ-साथ वैश्विक पटल पर हिंदी संपर्क भाषा के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने हेतु अग्रसर हैI उन्होंने हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख कियाI उन्होंने यह कहा कि हिंदी की समृद्धि भारतीय भाषाओं के साथ मिलकर ही हो सकती हैI वर्तमान दौर में प्रौद्योगिकी का प्रयोग होने से हिंदी में रोजगार की असीम संभावनाएं विद्यमान हैंI
इस कार्यक्रम के दौरान पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आभासी पटल के माध्यम से विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित किया और इसकी उपयोगिता का वर्णन कियाI उन्होंने बताया कि हिंदी देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाली भाषा है और अन्य भारतीय भाषाओं की सहचरी है, प्रतिद्वंद्वी नहीं हैI उन्होंने हिंदी के सामर्थ्य पर जोर देते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को यथार्थ रूप में लाने में हिंदी की महती भूमिका होगीI उन्होंने उल्लेख किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के विकास का मार्ग प्रशस्त करती हैI वहीं प्रोफेसर पुष्पा रानी ने अपने संबोधन में विश्व में हिंदी के विविध रूपों में बढ़ते प्रभाव को रेखांकित कियाI उन्होंने विश्व में हिंदी की अपनी विशेष पहचान और अस्मिता के आयामों का उल्लेख किया I
कार्यक्रम के तीसरे दिन कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति आचार्य बलदेव भाई शर्मा ने “हिंदी के विकास में पत्रकारिता की भूमिका” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि हिंदी पत्रकारिता ने शुरुआती दशकों में हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार में अमूल्य योगदान दियाI हिंदी पत्रकारिता ने देश की युवा पीढ़ी को हिंदी भाषा में दुनिया भर की ताज़ा तरीन ख़बरों के साथ जागरूक रहने का अवसर प्रदान कियाI यह हिंदी पत्रकारिता का सौभाग्य रहा कि शुरुआत में जागरूक पत्रकारों ने पत्रकारिता को मिशन मानते हुए राष्ट्रीयता, सांस्कृतिक उत्थान और लोकजागरण के उद्देश्य से समाज को अपनी सेवाएँ प्रदान की और हिंदी भाषा को नयी पहचान दिलाने में अपना योगदान दियाI इसी के परिणाम स्वरुप आज संचार के सभी माध्यमों जैसे समाचार पत्रों, रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा और अब इन्टरनेट पर भी हिंदी भाषी मीडिया का बोलबाला है।