अढ़ाई गुणा तक दाम बढऩे से एक्सपोर्ट में भारी गिरावट, कारोबारी परेशान
17 से 18 रूपए मिलने लगा 7 से 8 रुपए किलो वाला स्क्रैप
दविंदर डीके , लुधियाना 2 जुलाई 2021
जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है, उस पर अपने खासम खास अंबानी-अडानी को फायदा पहुंचाने के आरोप लगते आ रहे हैं। इस बार आरोप लगा है कि रिलायंस ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने रबड़ स्क्रैप के इंपोर्ट पर बैन लगा दिया है। इससे रिलायंस कंपनी का 70 रुपए किलो में बिकने वाला माल तो 170 तक जरूर पहुंच गया है, लेकिन स्थानीय रबड़ इंडस्ट्री बंद होने के कगार पर पहुंच गई है। केंद्र सरकार ने पाल्यूशन की आड़ लेकर करीब छह माह पहले रबड़ स्क्रैप के इंपोर्ट पर बैन लगा दिया था, तब कोरोना महामारी की आई दूसरी लहर के कारण लगे लाकडाउन में तो बैन का ज्यादा असर दिखाई नही दिया। लेकिन जैसे ही अनलाक होना शुरू हुआ, सरकारी फरमान के बुरे नतीजे दिखाई देने शुरू हो गए हैं। क्योंकि रबड़ स्क्रैप के दाम अढ़ाई गुणा तक बढ़ जाने से रबड़ इंडस्ट्री सकते में है, जो रबड़ स्क्रैप पहले 7 से 8 रुपए प्रति किलो आसानी से मिल रही थी, वह अब 17 से 18 रुपए प्रति किलो भी बड़ी मुश्किल से मिल रही है। इतना ही नही सरकारी फरमान के बाद जहां रबड़ की हर आइटम के दाम बढ़ गए हैं, वहीं रबड़ एक्सपोर्ट में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है।
पंजाब के रबड़ रिक्लेम यूनिट बंद होने की कगार पर
सूबे में करीब 15 रिक्लेम यूनिट हैं, जिनका टर्नओवर करीब 2 हजार कारोड़ रुपए है। इनमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर छह हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है। सभी यूनटिस में रबड़ स्क्रैप से रबड़ रिक्लेम बनाया जाता है, जो टायर-ट्यूब, आटो पार्टस, मैट आदि बनाने में इस्तेमाल होता है। लेकिन अब रबड़ स्क्रैप की इंपोर्ट पर बैन लगने के बाद दाम बढ़ जाने से ये यूनिट बंद होने के कगार पर पहुंच चुके हैं।
कारोबारयिों को झेलना पड़ रहा भारी नुकसान
कोहेनूर रिक्लेमेशन के एमडी सुनील जैन ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा रबड़ स्क्रैप के इंपोर्ट पर बैन लगाए जाने के बाद यहां स्क्रैप के लाले पड़ गए हैं, क्योंकि अढ़ाई गुणा दाम बढ़ जाने के बाद भी स्क्रैप मिलना मुश्किल हो गया है। ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि रबड़ कारोबार को बचाने के लिए स्क्रैप के इंपोर्ट पर लगाया बैन तुरंत वापिस ले लिया जाए।