वैज्ञानिक तरीके के द्वारा पराली के प्रबंधन से किसानों की आय में करेंगे विस्तार – मीत हेयर
फतेहगढ़ साहिब, 15 सितम्बर (पी टी नेटवर्क)
धान की पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण के द्वारा निजात दिलाने और वैज्ञानिक तरीकों की खोज से पराली से बिजली पैदा करके किसानों की आय में विस्तार करना राज्य सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है जिस दिशा में सरकार काम कर रही है। यह बात पंजाब के वातावरण और साईंस टैक्नोलोजी मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने आज यहाँ शाहपुर में श्री गणेश ऐडीबलज़ प्राईवेट लिमटिड की तरफ से पराली से बिजली पैदा करने वाले प्रोजैक्ट के दौरे के मौके पर कही। मीत हेयर ने इस मौके पर पराली जलाने की बजाय उक्त प्रोजैक्ट को पराली बेचने वाले किसानों को तीन करोड़ रुपए की चैक भी बाँटे। कुल 30 करोड़ रुपए की राशि किसानों को वितरित की जानी है। इस प्रोजैक्ट से एक एकड़ क्षेत्रफल में पराली के ज़रिये किसान 3000 रुपए कमा सकते हैं।
मीत हेयर ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पराली प्रबंधन का वैज्ञानिक ढंग से सार्थक हल निकालने के लिए इसको ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने के तरीकों की खोज करने और इसको किसानों की आय का स्रोत बनाने पर ढंग ढूँढ रही है। इसी दिशा में शाहपुर वाले प्रोजैक्ट को देखने आए हैं और इसको राज्य के बाकी हिस्सों में भी लगाने पर विचार किया जा रहा है। इसके इलावा ईंटों के भट्टों वालों को कुछ प्रतिशत पराली को ईंधन के तौर पर बरतने के लिए लाज़िमी करने पर विचार किया जा रहा है जिससे पराली की समस्या का हल भी होगा और किसानों की आय में भी विस्तार होगा।
वातावरण और साईंस टैक्नोलोजी मंत्री ने कहा कि पंजाब में 3 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की काष्त की जाती है जिसके नतीजे के तौर पर लगभग 20 मिलियन टन धान की पराली पैदा होती है। बासमती चावलों को छोड़ कर धान की अन्य किस्मों की मशीनी कटाई की जाती है, जिससे पीछे बची पराली का प्रबंधन करने में किसानों को दिक्कत आती है। उन्होंने कहा कि पराली को जलाने से जहाँ प्रदूषण होता है वहीं धरती की उपजाऊ शक्ति भी घटती है। पंजाब सरकार की तरफ केंद्र को किसानों को पराली प्रबंधन के लिए मुआवज़ा राशि की माँग की गई थी परन्तु केंद्र की तरफ से न करके किसानों का हाथ नहीं थामा गया।
उन्होंने बताया कि गाँव शाहपुर में श्री गणेश ऐडीबलज प्राईवेट लिमटिड की तरफ से पटियाला, फतेहगढ़ साहिब और लुधियाना जिले में पड़ते गाँवों की धान की पराली का उचित प्रबंधन किया जा रहा है जिसकी तरफ से पिछले सीजन में धान की पराली की ढुलाई के लिए 135 रुपए प्रति क्विंटल दिए गए थे। फैक्ट्री की बिजली की ज़रूरत को पूरा करके 3 मेगावाट को-जनरेशन पावर प्लांट चलाने के लिए किया जा रहा है जिससे 40 हज़ार टन पराली का उपभोग होता है और अब यह प्लांट 15 मेगावाट बिजली तक और बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है जो कि 15 अक्तूबर तक कार्यशील हो जायेगा। यह पराली से बिजली पैदा वाला एशिया का पहला प्लांट होगा। इस सीजन में तीन जिलों से करीब 1 लाख एकड़ क्षेत्रफल में से 2 लाख टन धान की खरीद का अनुमान है। इससे 25 किलो मीटर के घेरे में धान की पराली का उपभोग हो सकेगा।
साल 2014 से लेकर पिछले सीजन तक किसानों को धान की पराली के रूप में 40 करोड़ रुपए की अदायगी की है और किसानों की तरफ से करारनामे के अधीन उद्योग को धान की पराली बेची जा रही है जिससे अमलोह और खन्ना सब-डिवीजनों में पराली जलाने के मामले बहुत कम हो गए हैं। कुछ किसान धान की पराली बेचने के इस माडल के ज़रिये अपने साथी किसानों, जिनके पास पराली को संभालने का कोई प्रबंध नहीं है, के खेतों में से भी पराली इकट्ठी करके 30 लाख रुपए सालाना कमा लेते हैं।
इस मौके पर अमलोह से विधायक गुरिन्दर सिंह गैरी बड़िंग, पंजाब प्रदूषण रोकथाम बोर्ड के चेयरमैन प्रो. आदर्श पाल विग, मैंबर सचिव इंजीनियर करूनेश गर्ग, मुख्य वातावरण इंजीनियर प्रदीप गुप्ता, सीनियर वातावरण इंजीनियर अशोक कुमार आदि उपस्थित थे।