न्याय का सिद्धान्त 100 गुनहगार बच जाएं एक बेगुनाह को सजा नही मिलनी चाहिए
शांडिल्य बोले : वर्षो बाद जेल में रहकर बरी व्यकित किसके आगे रोना रोये वो टूट चुका होता है
ऋचा नागपाल , पटियाला 8 अप्रैल 2022
सुप्रीम कोर्ट देश की जेलो में बरसों से बंद अंडर ट्रायल बंदियों को लेकर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकारों से रिपोर्ट मंगवाए की कितने कितने सालों से बंदी अंडर ट्रायल के रूप में जेलों में बंद हैं । यह शब्द एंटी टेररिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने अपने कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहे। इस मौके पर कुलवंत सिंह मानकपुर, सुरेश शर्मा, सुरेंद्र पाल केके, अंकुर अग्रवाल मौजूद थे। वीरेश शांडिल्य ने कहा पांच वर्ष,सात वर्ष व दस वर्ष ओर इससे अधिक वर्षो से अंडर ट्रायल बंदियों को जेलो में डाला हुआ है जिस कारण न केवल बंदियों का बल्कि उनके परिजनों का भी भविष्य बर्बाद हो रहा है। उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट संविधान का सुरक्षा कवच है और सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर सुओ मोटो कॉग्निजेंस लेना चाहिए ताकि वर्षो से जेलों में बैठे अंडर ट्रायल बंदियों व बाहर उनके परिजन जो उनके ऊपर ही निर्भर हैं उन्हें इंसांफ मिल सके।
एंटी टेररिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्य्क्ष वीरेश शांडिल्य ने कहा कि उन्हें आज झारखंड से फोन आया कि एक अध्यापक 14 साल जेल में रहा और बाई इज्जत बरी होकर आया उसके जेल के 14 साल कौन लौटा सकता है । शांडिल्य ने कहा कि न्याय का सिद्धांत है सौ गुनहगार बच जाएं पर एक बेगुनाह को सजा नही मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा सुप्रीम कोर्ट को इसको जनहित में लेते हुए कड़ा संज्ञान लेना चाहिए क्योंकि जो बंदी वर्षो जेल में रहकर बरी होता है उसका वो समय कौन लौटा सकता है इस पर संविधान की सुरक्षा कवच सुप्रीम कोर्ट को चिंतन करना होगा। और जेलों में बंद बंदियों की सूची राज्य सरकारों से नोटिस जारी कर मंगवाई जाए ताकि उन बंदियों को इंसांफ मिले।
वीरेश शांडिल्य ने कहा वो इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को भी मिलेंगे और इस विषय को उठाएंगे और जरूरत पड़ने पर जनहित याचिका दायर करेंगे । उन्होंने कहा कि एक तरफ तो न्याय का सिद्धान्त है कि आरोपी को निर्दोष मानते हुए कोर्ट ट्रायल करें वही दोष सिद्ध होने से पहले ही वर्षो तक जेलो में रख उनके कानूनी हकों पर कुठाराघात हो रही है और इस सिद्धांत की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और कोर्ट यह कह कर बेल वर्षो तक नही देते की आरोपी बाहर आकर गवाहों को धमकाएगा जो बात न्याय से कोसों दूर है जबकि राज्य सरकार व उनकी मशीनरी जिंदा है कोई भी व्यक्ति चाहे जेल में हो या बाहर या जमानत पर कानून हाथ मे लेगा तो कानून अपना काम करेगा । सुप्रीम कोर्ट को इस पर गंभीर होकर फैसला लेना चाहिए इस विषय पर शांडिल्य ने कहा कि वह जनांदोलन तैयार करेंगे ।